1 मार्च 2024 से जिन ई-वे बिल के ई-इनवॉइस नहीं हैं वे ब्लॉक कर दिए जाएंगे

blocking of e-way bill facility
|Updated on: May 3, 2024

NIC ने 5 जनवरी, 2024 को ई-वे बिल के लिए नए दिशानिर्देश जारी किए थे, हालांकि 10 जनवरी, 2024 को उन्होंने इस एडवाइज़री को वापस ले लिया। पिछली एडवाइज़री के अनुसार, 1 मार्च, 2024 से शुरुआत करते हुए, जो बिज़नेस IRN (इनवॉइस रजिस्ट्रेशन नंबर) जैसे ई-इनवॉइस की जानकारी शामिल करने में विफल रहेंगे, उनका ई-वे बिल जनरेशन ब्लॉक कर दिया जाएगा। लेकिन एडवाइज़री वापस लेने के बाद यह दोबारा कब लागू होगा या इसमें कोई बदलाव किया जाएगा, यह कहना मुश्किल है

ई-वे बिल कोई नया कॉन्सेप्ट नहीं है, यह GST से पहले भी कई अन्य नामों से अस्तित्व में था। सीधे शब्दों में कहें तो, यह हर कन्साइनमेंट के लिए बनाया गया एक इलेक्ट्रॉनिक डॉक्यूमेंट है जिसके लिए भेजा गया माल थ्रेशोल्ड वैल्यू से अधिक होना ज़रूरी होता है (भारत के अधिकांश राज्यों के लिए यह थ्रेशोल्ड वैल्यू 50,000 रुपये है)। माल के शिपमेंट से ठीक पहले, सप्लायर या कैरियर को पोर्टल के माध्यम से एक ई-वे बिल बनाना होगा, जिसके बाद, हर कन्साइनमेंट के लिए एक यूनीक नंबर और इलेक्ट्रॉनिक डॉक्यूमेंट तैयार किया जाएगा।

क्या यह आप पर लागू होता है?

मूल शासनादेश में ई-इनवॉइसिंग प्रणाली के अंतर्गत आने वाली चुनी गई कंपनियों को ऐसा ई-वे बिल तैयार करना आवश्यक था जिसमें ई-इनवॉइस की जानकारी शामिल होती थी। इसलिए मूल नियम के अनुसार, निम्नलिखित कंपनियां एडवाइज़री के अंतर्गत आएंगी:

  • एक वित्तीय वर्ष के दौरान 5 करोड़ रुपये से अधिक का संयुक्त वार्षिक राजस्व होना जिसे ई-इनवॉइसिंग प्रणाली के माध्यम से मैनेज किया गया हो
  • थ्रेशोल्ड लिमिट को पार करने वाले कन्साइनमेंट वैल्यू के साथ माल को संभालना, और
  • अन्य बिज़नेसों (B2B) और एक्सपोर्ट्स (B2E) के साथ व्यापार करना।

यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि इस शासनादेश के तहत, बिज़नेस-टू-कस्टमर्स (B2C) लेनदेन, नॉन-सप्लाईज़ (डिलीवरी चालान सहित), नॉन-GST, और एक्सेम्प्ट सप्लाईज़ (बिल ऑफ़ सप्लाई) इस कानून के अंतर्गत नहीं आते हैं। इसी तरह, जो कंपनियां ई-इनवॉइसिंग के दायरे में नहीं आती हैं, उनके पास सीधे ई-वे बिल जेनरेट करने का विकल्प होता है।

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इसका बिज़नेसों पर क्या असर पड़ेगा?

अभी, जिन करदाताओं ने पिछले दो महीनों या तिमाहियों के लिए अपना GST रिटर्न दाखिल नहीं किया है, वे ई-वे बिल जेनरेट नहीं कर पा रहे हैं। इसे लागू करने के लिए, GST प्रणाली और ई-वे बिल प्रणाली के बीच जानकारी शेयर की जाती है।

यदि मूल NIC सलाह 1 मार्च 2024 से लागू की जाती है, तो जनरेट होने के समय ई-इनवॉइस डिटेल्स उपलब्ध न होने पर ई-वे बिल सुविधा भी प्रतिबंधित हो जाएगी। ई-इनवॉइस डिटेल्स के बिना, ई-वे बिल जनरेशन करने पर ये समस्याएं हो सकती हैं:-

  • प्रोडक्ट डिलीवरी में देरी से कंपनी के रिश्तों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
  • ई-वे बिल के बिना प्रोडक्ट्स को ले जाने पर सरकार की ओर से बिज़नेसों पर जुर्माना लगाया जा सकता है।
  • जब माल को ई-वे बिल के बिना ले जाया जाता है, तो संभावना है कि उसे हिरासत में लिया जा सकता है या ज़ब्त किया जा सकता है और बाद में, कर और जुर्माना भरने के बाद ही छोड़ा जा सकता है।

आपके अगले कदम क्या होने चाहिए?

हालांकि NIC की एडवाइज़री को फिलहाल वापस ले लिया गया है, लेकिन यह कहना सुरक्षित होगा कि इसे भविष्य में लागू किया जा सकता है। एडवाइज़री के बिना भी, बिज़नेसों के लिए कंप्लायंस बनाए रखने के लिए ई-इनवॉइस और ई-वे बिल जनरेट करना ज़रूरी है। एक व्यापारी के रूप में आपको यह सुनिश्चित करना होगा कि ई-इनवॉइस और ई-वे बिल एक साथ जनरेट हों। एक अच्छे तरीके के रूप में, B2B लेनदेन के लिए ई-वे बिल के साथ-साथ ई-इनवॉइस जनरेट करना सबसे अच्छा रहता है क्योंकि इससे बाद में दोनों डॉक्यूमेंट्स के बीच किसी भी तरह का मिसमैच होने से बचा जा सकता है। कनेक्टेड सॉल्युशन वाला बिज़नेस मैनेजमेंट सॉफ़्टवेयर इसे आसान बनाता है।

TallyPrime के साथ, आपको अलग-अलग ई-इनवॉइस और ई-बिलिंग जेनरेशन की परेशानी नहीं झेलनी पड़ेगी और इसके अलावा अन्य क्लेरिकल टास्क पर अपना समय और मेहनत बर्बाद नहीं करनी होगी। आप TallyPrime के कनेक्टेड ई-इनवॉइसिंग और ई-वे बिल सॉल्युशन की मदद से तुरंत ई-इनवॉइस और ई-वे बिल साथ में जेनरेट कर सकते हैं। आप केवल इनवॉइस कैप्चर करके TallyPrime का उपयोग करके आसानी से ऑनलाइन इलेक्ट्रॉनिक वे बिल बना सकते हैं। TallyPrime के पूरी तरह से इंटीग्रेटेड सॉल्युशन के साथ, इनवॉइस डिटेल्स को ऑटोमेटिक तरीके से अपलोड करने और ज़रूरी फॉर्मेट में तुरंत ई-वे बिल जनरेट करने से परेशानी ख़त्म हो जाती है।

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